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इतनी भी क्या जल्दी थी बल्लू!

बल्लू! कितने सपने संजोए थे तेरे लिए। भैया ने, भाभी ने, दोनों दीदियों ने, मम्मी ने, पापा ने, मैंने। बर्तन, अलमारी, कूलर, पंखे सारे साज-ओ- सामान इकट्ठे कर लिए गए थे तेरे ब्याह के लिए। सब की कामना थी तेरे हाथों में मेहंदी लगते देखने की। सोचा था पढ़ाई के साथ-साथ थोड़ा काम कर लूंगा तो कुछ और तो नहीं पर अपनी कमाई से 5 थान बर्तन और 1 जोड़ी साड़ी तो दे सकूंगा। भैया दुनिया की सारी सुख- सुविधाएं, खाना- पीना भूलकर लकड़ी की कंपनी में 20- 20 घंटे सिर्फ इसलिए काम करते रहे कि बेटी का ब्याह अच्छे से हो जाए। मम्मी पापा के मन में एक अपार खुशी थी की नातिन का ब्याह देख लें। उनकी इच्छा भी पूरी न हो सकी। पापा हमेशा कहते थे कि नातिन का ब्याह धूमधाम से करूंगा, भले ही कितने भी पैसे लग जाएँँ। पापा की इस इच्छा को भैया ने अपना सबकुछ मान लिया था, और काम करते-करते नर कंकाल हो गए थे। अंततः व्यवस्था हो गई थी। पर किसे पता था कि अकारण ही पेट में दर्द उठेगा और तू हम सब को छोड़ कर काल के गाल में समा जाएगी।  बल्लू! तुझे आखरी बार मैंने तब देखा था जब तू 10 साल की थी। तेरा बाल रूप और फोन में सुनी हुई तेरी आवाज ही मुझे याद है।

मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार विजय मनोहर तिवारी राष्ट्रीय शरद जोशी पुरस्कार से होंगे सम्मानित.....

  भोपालः मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने 2019 और 2020 के प्रतिष्ठित सम्मानों की घोषणा कर दी है। साल 2020 का राष्ट्रीय शरद जोशी पुरस्कार मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार विजय मनोहर तिवारी को प्रदान किया जाएगा। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग यह पुरस्कार राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी व्यंग, ललित निबंध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में उत्कृष्ट रचनात्मक लेखन के लिए प्रदान करता है। पुरस्कार के रूप में दो लाख रूपये की राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य ऐसे लेखकों को सम्मानित करना है जो उपन्यास, कहानी, नाटक आदि मुख्य विधाओं से इतर सृजनात्मक कार्य करते हैं।           श्री तिवारी ने पत्र-पत्रिकाओं में लिखने के साथ ही कई किताबों की भी रचना की है। उन्होंने अपनी पहली किताब 'हरसूद 30 जून' 2005 में लिखी थी। उसके बाद किताब लिखने का सिलसिला निरंतर चलता रहा। उन्होंने 'प्रिय पाकिस्तान', 'एक साध्वी की सत्ता कथा,' 'राहुल बारपुते' 'भारत की खोज में मेरे 5 साल' आदि किताबें लिखीं हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध किताब 'आध