मैंने लोगों को बदलते देखा है।
दिल्ली आने से पहले मैंने हजारों बार सोचा था कि-
कैसी होगी दिल्ली ?
कैसे होंगे यहाँ के लोग ?
कैसा होगा यहाँ का परिवेश ?
और... कैसे छोटे शहरों और गाँवों से आए हुए लोग कुछ समय बाद बदल जाते होंगे?
यही सब सोच- सोच कर आखिर मैं भी कुछ महीनों के लिए दिल्ली आ ही गया।
और, बहुत कुछ तो नहीं देखा, पर हाँ! छोटे शहरों से आए हुए लोगों को बदलते जरूर देखा।
वो जो कभी रूम में बैठे ज्ञान देते थे कि- जिंदगी में कोई भी ऐसा काम मत करना जिसे अपने मम्मी पापा से छुपाना पड़े,
वो जो मेरे मुँह से एक भी गाली निकलने पर कह देते थे कि- तुममें बात करने का शऊर नहीं है, तुम्हें बात करने का सलीका नहीं आता,
वो जो दिल्ली आकर इतने गंभीर हो गए थे, जिन्हें देखकर लगता था कि- भगवान राम के बाद पृथ्वी पर इनका ही अवतार हुआ है,
वो जो बात- बात पर हमसे खफ़ा हो जाते थे, हमेशा शिकायत होती थी उनकी कि- आप लोगों को तो अपने रूममेंट का भी खयाल नहीं है।
मैंने उन लोगों को भी बदलते देखा है।
बदलना यानी कि परिवर्तित होना,
बहुत अच्छी बात है,
परिवर्तन ही जीवन का नियम है, लेकिन बदलाव जब आपको गर्त में धकेलने लगे, तब वह बदलाव नहीं कुछ और हो जाता है।
मैंने उन लोगों को दारू के नशे में झूमते, गाली देते, और दिन रात लड़कियों के चर्चे में डूबे रहते देखा है।
मुझे व्यक्तिगत रुप से नशे से बहुत घृणा रही है, यहाँ तक कि अगर कोई मेरे सामने सिगरेट भी पीता है तो मन करता है चार जूते लगाऊं और भगा दूं ,
लेकिन तब दिल्ली की आधुनिकता याद आ जाती है-
और किसी दोस्त का यह कथन भी कि “ यह सब तो नॉर्मल है यार... खुद को नार्मलाइज्ड करो ना, ठीक वैसे.. जैसे तुम गाली देने, और लोगों के साथ बात करने में नॉर्मलाइज्ड हो।
फिर दिमाग में एक सवाल- नशा, मतलब उसूलों से समझौता?
फिर पुरानी यादों का सफर-
2017, मुंबई, 2 महीने।
दिल कहता है विमलेश! जब तुमने 17 साल की उम्र में 2 महीने मुंबई के नशेड़ियों के बीच रहकर भी दारू की एक भी बूँद मुंह से नहीं लगाई, जब कि तुम उस समय इममैच्योर थे, बालपन था तुम्हारा, अब तो तुम मुंबई नहीं दिल्ली में हो, और उम्र के उस पड़ाव में हो जहां तुम में समझदारी भी है। तो जो भी करना सोच समझ कर करना।
छोटे शहरों से आए लोगों का बदलना तुम्हारे लिए एक नई सीख है।
सीखो और आगे बढ़ो...।
- विमलेश कुमार।
👍👍👍👍
ReplyDelete👍👍
ReplyDelete👍👍👍
ReplyDeleteव्यावहारिक विश्लेषण
ReplyDeleteयह धनुर्धर बाण तुम्हारा...सब प्राणों को पार करेगा
ReplyDeleteKeep it up brother
ReplyDeleteAchhe se apna anubhav share kiye👍
ReplyDeleteबहुत रोचक है
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