मुझे पसंद है-
मुझे पसंद है तुम्हारा लाइब्रेरी में बैठे किताबों से गुफ्तगू करना, मुझे पसंद है तुम्हारा गहन अध्ययन, तुम्हारी गंभीरता। मुझे पसंद तुम्हारी बातों का भारीपन, तुम्हारे कहने का सलीका और मुद्दे की समझ, मुझे पसंद हैं तुम्हारे विज्ञानसम्मत तथ्य, मैं तुमसे करना चाहता हूँ बातें साम्यवाद पर, समाजवाद पर, पूँजीवाद पर, मै तुमसे जानना चाहता हूँ तुम्हारा दुनिया को देखने का नजरिया, मै तुमसे दर्शन, विज्ञान, मनोविज्ञान, साहित्य सभी पर चर्चा करना चाहता हूँ, लेकिन इतना सब किसी एक ‘तुम’ में नहीं मिलता, हर जगह हल्के लोग और उनका हल्कापन, यह सब देखकर मेरे दिमाग में गोलमटोल चीजें घूमनें लगती हैं- आकर्षण,प्रतिकर्षण,इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्यूट्रान, चैडविक, रदफोर्ड, गोल्डस्मिथ, न्यूटन, मेण्डल, मैडलीफ, ल्यूवेनहाँक, प्लाजमोडियम, ट्यूबरकुलोसिस, मलेरिया, केल्विन साइकल, निराला, पंत, महादेवी, अज्ञेय, मुक्तिबोध, देवताले, नागार्जुन, प्रेमचंद, भंडारी, यादव, कमलेश्वर, द्वैतवाद, अद्वैतवाद, द्वैताद्वैतवाद, साइन्स कालेज,बायोटेक्नोलॉजी, NIT, IIT, DU, JNU,IIMC वर्धा, जामिया, किसी को छोड़ने का अफसोस तो किसी को न पाने का दुख, और किसी