नई विश्व व्यवस्था में बदलाव की सुगबुगाहट

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे  विवाद ने अब युद्ध का रूप ले लिया है। इसी के साथ नई विश्व व्यवस्था की सुगबुगाहट भी प्रारंभ होने लगी है। दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद पूरे विश्व के सामने अमेरिका एक नई शक्ति के रूप में उभरा था। एक लंबे समय तक विश्व पर अमेरिका का आधिपत्य भी रहा। लेकिन अब विश्व के कई देश अमेरिका के इस आधिपत्य को नकारने लगे हैं। इसी का नतीजा है यूक्रेन रूस विवाद। 1949 में बने NATO (Non Atlantic treetiy Organization) समूह में अब तक यूरोप के 30 देशों को शामिल किया जा चुका है, लेकिन लंबे समय तक अमेरिका के पूरे विश्व में आधिपत्य होने के बावजूद यूक्रेन को नाटो की सदस्यता ना दिला पाना उसकी कमजोरी को प्रदर्शित करता है।

दूसरे विश्व युद्ध में जब दुनिया दो धड़ों में विभाजित हो गई थी उस समय भी अमेरिका ने अपनी शाख बचाए रखी थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका द्वारा किए गए बम विस्फोट उसे विश्व शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने लगे थे। वर्ष 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ, उससे पूर्व ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन के कुवैत पर हमला करने पर अमेरिका के कड़े रुख ने उसे पुनः  विश्व शक्ति के रूप में स्थापित किया। कुवैत को आजादी दिलाने के लिए वैसे तो संयुक्त राष्ट्र के द्वारा भेजे गए 34 देश लड़ रहे थे लेकिन पूरे सैनिकों में से 75 फ़ीसदी अमेरिका के ही थे। साथ ही अमेरिका ने दुनिया को अपना आधिपत्य कुबूल कराने के लिए ईराक कुवैत युद्ध अर्थात प्रथम गल्फ वार का लाइव टेलीकास्ट कराया। दुनिया ने पहली बार टेक्नोलॉजी से लैस हथियार और मिसाइलें देखी, और चुपचाप अमेरिका के आधिपत्य को स्वीकार कर लिया।

अमेरिका के इस आधिपत्य को खत्म करने के लिए दुनिया के कई देशों ने भीतर ही भीतर षड्यंत्र रचने प्रारंभ कर दिए। चीन और रूस ने अपने आप को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने का कोई कसर नहीं छोड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि विश्व इतिहास में पहली बार  रूस और चीन एकजुट होकर अमेरिका के आधिपत्य को समाप्त करने पर उतारू हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 10 फरवरी को संसद में दो टूक कह दिया कि विश्व एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उनका साफ इशारा दुनिया में अधिनायकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों पर ही था।

दरअसल, 2019 के नवंबर महीने में आई कोविड-19 नामक वैश्विक महामारी में अमेरिका विश्व से पूरी तरह अलग-थलग हो गया था। वह पूरी तरह से निस्सहाय दिखने लगा था। इसी बीच रूस और चीन जैसे देशों ने इस निस्सहाय अमेरिका को वैश्विक महाशक्ति न मानने का प्रोपेगेंडा रच डाला। अब वह दिन दूर नहीं जब संपूर्ण विश्व से अमेरिका का आधिपत्य समाप्त हो जाएगा और रूस और चीन में से कोई एक या फिर दोनों नई वैश्विक महाशक्ति के रूप में सामने आएंगे। भारत की भी उसमें महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। वास्तव में यूक्रेन पर हमला करना तो रूस का एक बहाना है, उसका मूल मकसद विश्व को अपनी ताकत से रूबरू कराना है। देखना दिलचस्प होगा अगले दो-तीन दशकों तक विश्व किसके अधिनायकत्व पर संचालित होता है।

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